सम्मानित साथियों,
मुद्दे को प्राथमिकता पर रखते हुए आगे बढ़े। कुछ राज्यो में चुनावी दौर है चूके नही।
............✍️विजय बन्धु✍️
जब हम सब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर होंगे उस समय ना तो हमारे पास आर्थिक ताकत रह जाएगी और ना ही शरीर की ताकत रह जाएगी। ऐसे समय में एकमात्र सहारा पुरानी पेंशन की व्यवस्था शिक्षकों कर्मचारियों के लिए रामबाण का काम करती थी। परंतु यह व्यवस्था सरकारों ने हम सबसे छीन लिया। पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो इसके लिए लगातार आंदोलन अलग-अलग चरणों में अलग अलग तरीके से किया जा रहा है। आप सभी खुद सहयोगी हैं, सहभागी है, चश्मदीद गवाह भी है। शायद ही इतने बड़े देश में किसी एक मुद्दे पर पूरे देश के कर्मचारी एकमत हुए हो यह पहला वाकया है। जिस पर सभी सहमत हैं और आप सब के सहयोग से संगठन (NMOPS) के लगातार प्रयास से यह मुद्दा आज हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है। यह ऐसा इसलिए हो पाया, क्योंकि आप सभी ने पूरी मजबूती से इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया।
कई राज्यों में इसी मुद्दे पर सरकार बन गई और बिगड़ गई। हां यह सच है कि किसी सरकार ने वादे पर कुछ ठोस फैसला नहीं कर पाये, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इससे निराश और हताश नहीं होना है, बल्कि दबाव बनाने का काम करना पड़ेगा और उन्हें पूरी मजबूती से याद दिलाना होगा कि अपने वादे को पूरा करें, अन्यथा जो समर्थन करके सत्ता में ला सकता है, वह विरोध करके सत्ता से वापस भी कर सकता है। यह एक लोकतांत्रिक देश है, जनता यहां सर्वोच्च होती है।
तो हम सभी को एक बार पुनः कमर कस के अपने अपने राज्यों में पेंशन आंदोलन को मजबूती देने का कार्य करना होगा। पांच माह बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, वहां ज्यादा सक्रियता और संघर्ष की जरूरत है, क्योंकि यदि मौका हाथ से निकल गया तो फिर 5 साल पछताना होगा। इसलिए जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां पर विशेष रणनीति बनानी होगी। सभी दलों को एहसास कराना होगा कि यदि कर्मचारियों-शिक्षकों की बात अनसुनी की गई तो इसका परिणाम भी सरकारों को भुगतना पड़ सकता है।
हमें किसी पक्ष -विपक्ष में न पड़कर अपनी मुद्दे को आगे करना होगा। सरकारों पर दबाव बनाया जाए कि वह पुरानी पेंशन की दिशा में कदम उठाएं। विपक्षी दलों पर दबाव बनाया जाये कि वह अपने घोषणा पत्रों में इस मुद्दे को प्राथमिकता से रखें और मौका मिलने पर अपने वादे पर खरे उतरे। मुद्दे बहुत से हो सकते हैं, परंतु पुरानी पेंशन का मुद्दा हमारे आपके जीवन से जुड़ा हुआ है, हमारे आपके परिवारों के मान सम्मान से जुड़ा हुआ है, और आने वाली पीढ़ी के भविष्य जुड़ा हुआ है।
इसलिए सभी साथी इस समय पूरी ताकत से अपनी मुद्दे के लिए अपने जनप्रतिनिधियों से मिलकर उन्हें तत्वों से अवगत कराकर अपनी बात रखवाये व मनवाये। आज कई जनप्रतिनिधि आपके पक्ष मे लिख रहे है, कह रहे है, यह बड़ी बात है। यह आप सबकी एकता की ताकत है।
इसलिए उठिए, खड़े होइए, कमर कसिए है और बुढ़ापे की बेखबर व अदूरदर्शी निद्रा से जाग कर तैयार हो जाइए। अपने हक की आवाज को बुलंद करने के लिए, अपने आत्मसम्मान के लिए, अपनी बात सबसे कहें और दृढ़ता के साथ कहे। हम सब जरुर कामयाब होगे, ऐसा विश्वास रखते हुए आगे बढ़े ।
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-विजय कुमार "बन्धु", राष्ट्रीय अध्यक्ष-NMOPS, प्रदेश अध्यक्ष-ATEWA.
-विजय कुमार "बन्धु", राष्ट्रीय अध्यक्ष-NMOPS, प्रदेश अध्यक्ष-ATEWA
2 टिप्पणियाँ
एकमात्र लक्ष्य - पुरानी पेंशन
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