भारतवर्ष की मध्यम वर्गीय जनता की चेतना की झलक दिखा गयी NMOPS की देहरादून रैली।
....................✍🏻 कुलदीप सैनी "कुली"
NMOPS के बैनर तले सम्पन्न हुई परेड ग्राउंड देहरादून की रैली में उमड़ा जनसैलाब यह इंगित कर रहा है कि इस लोकतांत्रिक देश की जनता के एक बड़े वर्ग के साथ सुनियोजित ढंग से कोई न कोई अत्याचार हुआ है।
यह आंदोलन कालांतर में एक बड़ी परिणति की ओर अग्रसर होगा।

सोचो, आंदोलन कौन करना चाहता है.?, सबको सकून और आराम चाहिये, लेकिन जब कोई घटना दुर्घटित हो जाता है तब अंर्तचेतना की उद्वेवलना संघर्ष को जन्म देती है। शायद इसी का प्रतिफल पेंशन आंदोलन है।
एक सीधा साधा शिक्षक जब विजय बन्धु के रूप में सोचता है कि गरीबी की तंगहाली से निकल कर बमुश्किलों का सामना करने के उपरांत सरकारी नौकरी मिली है।
मध्यमवर्गीय देश की जनता के मेधावी छात्रों के पास एक संघर्ष और श्रेयस्कर लक्ष्य सरकारी नौकरी ही है। जिसे पाने की होड़ के संघर्ष में पूरा परिवार साथ होता है। इसी सरकारी सेवा में पूरा जीवन देने वालो को पेंशन का प्रावधान रखा गया था।
सरकारी नौकरी में अभिजात्य वर्ग के कितने लोग आना पसंद करते है..? कोई बताए...
कितने अभिजात्य वर्ग के लोग सेना में हैं..?, कितने अर्धसैनिक बल मे है..?, कितने अन्य रक्षा संस्थानों में है..?
जवाब यही होगा कि कोई नहीं...
सब मध्यमवर्गीय जनता के परिवारों से परिस्थितिजन्य कठिन सेवाओं में जाते हैं।
इसी लिए भारतीय संविधान में पेंशन, वेतन इन्ही सेवाओं का प्रतिफल लिखा गया।
लेकिन कालांतर में देश में कुछ तुच्छ अर्थशास्त्रियों से पेंशन को देश के खजाने पर पड़ने वाला महान बोझ बताकर इसे खत्म कर दिया गया।
सरकार बड़े बड़े उद्योगपतियों का लाखों, अरबों बैंक ऋणों की स्वयं अदायगी / माफ कर देती है।
सांसद / विधायक बनने वाले लोग आजीवन चार चार पेंशन खा रहे, लेकिन पूरा जीवन देश की सेवा करने वाले व्यक्ति के लिए पेंशन का प्रावधान नहीं है। यही इस आंदोलन का सबसे बड़ा कारक है।
यह मात्र पेंशन की लड़ाई नही है, बल्कि देश के पूंजीपतियों से मध्यम वर्गीय जनता की सीधी लड़ाई है।
अभी पेंशन खत्म कर दी गयी, फिर निजीकरण करके सरकारी सेवा ही खत्म कर दी जाएगी, और हम जैसी मध्यम वर्गीय जनता के लोग हाथ पर हाथ धरे हुए घरों में बैठे रहेंगे।
अगर यह अनाचार लगता हो तो सभी को आगे बढ़कर अपने भविष्य और परिवार की नैतिक जिममेदारी समझते हुए 21 नवम्बर को बन्धु जी के आवाहन के साथ, "पेंशन शंखनाद महारैली" इको गार्डेन, लखनऊ अवश्य पहुंचे।
डॉ रामाशीष जी अमर रहे। क्रांति आवाहन के साथ आपका-
कुलदीप सैनी "कुली"
प्रदेश सोशलमीडिया प्रभारी, अटेवा - कानपुर देहात।
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