क्यों है..?, लाखों शिक्षक कर्मचारियों की उम्मीद-"अटेवा"-ATEWA/NMOPS

      जय युवा                                          जय अटेवा


                   डॉ. राम आशीष सिंह अमर रहें..!

                    विजय कुमार 'बन्धु' जिन्दाबाद..!

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 क्यों है.?, लाखों शिक्षक कर्मचारियों की उम्मीद-"अटेवा"

प्रिय साथियों,

            अटेवा को पुरानी पेंशन बहाली की मशाल जलाए हुए लगभग 6 वर्ष होने जा रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में अटेवा की जलाई हुई मशाल पूरे लौ के साथ जल रही है। आज अटेवा पूरे देश के लाखों-लाख शिक्षक कर्मचारियों की उम्मीद बन चुका है। यह भरोसा और उम्मीद एक दिन में नहीं बनता इसे बनाने के लिए वर्षों लगते हैं। कठिन परिश्रम करना होता है, ईमानदारी के साथ आगे बढ़ना होता है, और सबसे मुख्य बात की लक्ष्य को ध्यान में रखकर दूरदर्शी निर्णय लेने पड़ते है। तब जाकर कहीं आपके प्रति विश्वास पैदा होता है।

       आज मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है, कि यह सभी खूबियाँ, बल्कि इससे भी बढ़कर अटेवा के साथियों में मौजूद है, इसीलिए तो आज अटेवा ने सरकारी शिक्षक कर्मचारियों के साथ समाज के विभिन्न तबकों में भी अपनी पहचान और भरोसा खड़ा किया है। अटेवा का एक-एक साथी इसके लिए बधाई का पात्र है। चाहे वह शीर्ष नेतृत्व हो या फिर सबसे दूर बैठा पेंशन बहाली के लिए संघर्ष करता एक छोटा सा सिपाही। यदि शीर्ष नेतृत्व की बात करें तो आदरणीय अध्यक्ष विजय कुमार 'बन्धु' जी ने पुरानी पेंशन की बहाली का जो सपना देखा, और उसे पूरा करने के लिए अपनी जुझारू टीम के साथ विचार-विमर्श के बाद दूरदर्शी कार्यक्रमों का बनाना, वर्ष के 365 दिन व दिन के 24 घंटे अपने मिशन में लगे रहना, सचमुच धन्य का काम है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए पूरे देश को एक सूत्र में बांध देना कोई आसान काम नहीं है। यह काम कोई गाँधीवादी विचारधारा और उनके आदर्शों से प्रेरित व्यक्ति ही कर सकता है। अपने नेतृत्व के प्रति हम सदैव ऋणी रहेंगे, कि उन्होंने हमारे इस सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे को देशव्यापी बना दिया। तमाम झंझावातों को पार करते हुए सहनशीलता के साथ हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे, हम सभी उनके इस काम-व्यवहार के प्रति आभारी हैं। 

वहीं टीम के अन्य सभी साथियों ने घोषित कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत की और नेतृत्व का सहयोग किया। इसके लिए आप सब भी बहुत ही धन्य हैं और बधाई के पात्र हैं। जिले-ब्लॉक से लेकर गाँव-गाँव तक संघर्ष करते लड़ते भिड़ते और आगे बढ़ते उन सभी साथियों की अगर चर्चा नहीं होगी तो यह अन्याय होगा, जिन्होंने आंदोलन को जिया है, और अथक परिश्रम किया है। क्योंकि आज उन्हीं साथियों की बदौलत आंदोलन को यह ऊँचाई प्राप्त हुई है, और लगातार आपके खाते में उपलब्धियाँ (नईं पेंशन में संशोधन) जुड़ती जा रही हैं। यह आप सभी के परिश्रम का परिणाम है। इसके लिए आप सभी को बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद, लेकिन साथियों इन छोटी सफलताओं को पूर्ण नहीं मानना है, बल्कि इनसे प्रेरित होकर आगे बढ़ना है, और पूर्ण सफलता को प्राप्त करना है। 

    साथियों अटेवा रूपी इस पौधे को सींचने में जिन-जिन लोगों ने अपना पसीना बहाया है, परिश्रम किया है, उन सभी साथियों को धन्यवाद देता हूँ और उम्मीद भी करता हूँ कि इसी उत्साह और जोश के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए आगे बढ़ेंगे और छोटे-छोटे पड़ावों से गुजरते हुए अपनी मंजिल (पुरानी पेंशन की बहाली व निजीकरण की समाप्ति) को प्राप्त करेंगे।

     आप सभी को यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि दूरदर्शी नेतृत्व के मार्गदर्शन और आप सथियों के मेहनत के बल पर हम जीत हाँसिल करेंगे, क्योंकि मुझे भी अटेवा पर पूरा विश्वास है, और उन लाखों में से एक मैं भी हूँ।

     अंत मे बस इतना ही--

परिंदों को मिलेगी मंजिल एक दिन,

 ये फैले हुए उनके पर बोलते है।

वो लोग रहते हैं खामोश अक्सर, 

जमाने मे जिनके हुनर बोलते हैं।

पुरानी पेंशन जिन्दाबाद..!  पेंशन हक़ है, लेकर रहेंगे..!

निजीकरण समाप्त हो.!

   आपका -

         रजत, 'प्रहरी', प्रदेश संयुक्त मंत्री, अटेवा उ. प्र.।

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